कहानी : सगाई
सूरज दफ्तर से निकला और गाड़ी पर बैठा. बैठकर विनीता को फोन लगाया. विनीता उसके कॉलेज के दिनों की फ्रेंड थी. दोनों कालेज के बाद आगे की पढ़ाई और नौकरी में व्यस्त हो गए थे. जब से वह फिर से लखनऊ शिफ्ट हुई है तब से दोनों की फिर से अच्छी बातचीत शुरू हो गई है. दो बार पूरी रिंग जाने के बाद भी विनीता ने फोन नहीं उठाया. सूरज ने अपना मोबाइल की काँटेक्ट लिस्ट खोली और विनीता का दूसरा नंबर ढूंढने लगा.
"जियो का था. अभी ही उसने लिया था नया नम्बर."
सूरज ने सोचते हुए सारी काँटेक्ट लिस्ट खंगाल डाली, पर उसका नंबर नहीं मिला.
"अरे यह क्या मैंने ही नंबर तो दिलाया था उसे. कितना सरल नंबर था और मैं ही भूल गया."
उसने थोड़े अजीब गुस्से के साथ धीरे से कहा और मोबाइल सीट पर पटक दिया.
थोड़ी देर बाद उसने एक बार फिर पूरी कांटेक्ट लिस्ट रोल की. कोई ऐसा नंबर नजर नहीं आया जिसे वह कॉल कर सके. जिसके साथ एक घंटा सुकून के पल बिता सके.
उसने मोबाइल में WhatsApp खोला और विनीता को मैसेज किया
"हेलो विनी "
"वेयर आर यू "
"उड यू लाईक टू टेक अ कप ऑफ टी"
उधर से कोई रिप्लाई नहीं आया. कॉलेज खत्म होने के पहले साल ऐसा नहीं था. तब सारे दोस्त हर वीकेंड पर मिला करते थे यही बदनाम लड्डू के पास तब सब की नई नई नौकरी भी थीं. खूब पार्टी होती थी. वीकेंड ट्रिप्स भी होते थे. धीरे-धीरे यह सब खत्म होने लगा. कुछ अपनी और अच्छी पढ़ाई के लिए कानपुर और कोटा चले गए और जो रिलेशनशिप में आ गए वह घर पर रहना पसंद करते अथवा गर्लफ्रेंड के साथ विकेंड पर जाना पसंद करते थे. आज हालात ऐसे हैं कि एक ही से शहर में रहकर सब से मिले महीनों बीत जाते हैं. अब तो सूरज भी रिलेशनशिप में आ गया है. उसके पापा की दूर के फ्रेंड की बेटी है विनीता. सूरज के साथ पढी है और मां-बाप को भी पसंद है. इसलिए मां पापा ने जबरदस्ती ही उसकी सगाई फिक्स कर दी है. अगले 10 तारीख को है सगाई. सूरज ने मां पापा को बहुत समझाने की कोशिश की कि वह इंजीनियरिंग पढ़ा है और विनीता लिट्रेचर. इसलिए विनीता और उसकी जोड़ी जमेगी नहीं.पर पापा भी कहां मानने वाले थे. उनकी दोस्ती जो रिश्तेदारी में बदलने वाली थी. सूरज भी अपनी जिंदगी के लिए कहां लड़ाई करने वाला था. आज विनीता का फोन उठ जाता तो वह बता देता कि शाम को मॉल चलेंगे खरीदारी करने. पर वह तो व्यस्त थी अपनी सगाई को लेकर.
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