गुमशुदा

लगा लो तुम मुझको अपने सीने से

कहीं गुम न हो जाऊं मैं​

बेमिसाल इस भीड़ भरी दुनिया में

गुम हो गया यदि मैं

होके बंजर तुम रह जाओगी

आएगी याद तुम्हे मेरी जब

तो आंखों से आंसू बहाओगी

होके बीरान मैं भी इस दुनिया में

कभी भी लौट के वापस मैं न आ पाऊंगा

तुम्हारे दिल में

हो जाएंगी बेचैन सूनी सी ये निगाहें

हर पल ढूंढ कर मुझको

ढूंढकर थककर , जब सोचेंगी ये निगाहें

जब भी मेरे बारे में

लगेगा ऐसा तब

कि मैं तुम्हारे पास ही खड़ा हूं

झपट पड़ोगी प्यार से तुम मेरे ऊपर

पाओगी एक बीरान सा रास्ता

जहां कभी मैं आया करता था

आखिर तब लगाओगी मेरी तस्वीर को अपने सीने से

तब क्या होगा

लगाने से उस तस्वीर को

क्योंकि

तब तक मैं गुमसुदा हो चुका हूँगा.
                                साभार – rhythem of life

                Pankaj Kumar Sharma

              

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