'मंगल पर मानव'


दोस्तों! मंगल ग्रह हमेशा से ही वैज्ञानिकों के कौतूहल  का केंद्र रहा है इसीलिए तमाम देशों के अंतरिक्ष में कई वर्षों से इसे लेकर तरह तरह के प्रयोग करते रहते हैं कई नई-नई थ्योरियां देते रहते हैं। इसी का नतीजा है कि मंगल ग्रह हमारे दायरे से दूर होकर भी पास है। आज हमने रोवर तथा  मंगलयान के द्वारा करीब लाखों किलोमीटर दूर स्थित ग्रह को अपने कब्जे में ले लिया है। इन सबके बाद अब वैज्ञानिको का  अगला मिशन इंसानों को मंगल पर पहुंचाना है। इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं।

आइए जानते हैं कि मंगल ग्रह पर जीवन है अथवा नहीं। दोस्तों आज तक हम भी कई वर्षों से मंगल से जुड़ी तमाम जानकारियों पर अध्ययन कर रहे हैं। हमने भी कई सारी जानकारियां इकट्ठा की। यह सारी जानकारी और खुद के अध्ययन 'एलियन एक अनसुलझी गुत्थी’ के 'मंगल पर मानव’ मिशन नाम से लिखी हैं।

 जहां तक कि मुझे याद है कि अगस्त 2012 की बात है क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल की कुछ तस्वीरें भेजी थी जिसमें मंगल ग्रह के लोगों की मौजूदगी का दावा किया गया था इसके बाद नवंबर 2012 में दूसरी रिपोर्ट में बताया गया कि मिट्टी की संरचना हवाई द्वीप और आसपास पाई जाने वाली मिट्टी से मिलती है।छः रिसर्चर वाली टीम हवाई के बंजर लावा मैदान  में एक दो मंजिला गुम्मद नुमा इमारत में रह रहे हैं। यह जगह मओना लोआ के उत्तरी ढलान पर है जो एक जिंदा ज्वालामुखी है और सन 1983 में आखिरी बार निकला था। इन छह रिसर्चर को हवाई यूनिवर्सिटी तथा कर्नल यूनिवर्सिटी ने चुना है। इन्हे सूखी संरक्षित चीजों से एक ऐसा खाना तैयार करना है जो खराब ना हो तथा अन्य सभी करने हैं जिसमें मंगल ग्रह पर रुकने में आसानी हो सके। रिसर्चरों की टीम में यू एस जियोलाजिकल सर्वे इन एरिजेन की  एक अंतरिक्ष  विज्ञानी, विज्ञान और तकनीकी के पत्रकार, गरीब छात्रों के साथ काम करने वाले पदार्थ विज्ञानी और एक शिक्षक शामिल है। टीम के सदस्यों ने इसी लैब में खाना पकाने के लिए एक कमरा और एक रसोई घर बना हुआ हैै।

क्या आपको मालूम है कि वैज्ञानिको ने हवाई द्वीप को किस लिए चुना?

वैज्ञानिको ने इस स्थान को इसलिए चुना क्योंकि यहां की मिट्टी की संरचना तथा मिट्टी मंगल ग्रह से मिलती-जुलती है। अभी कुछ वर्ष पहले अप्रैल 2015 में मंगल पर ग्लेशियर मिले और बताया गया कि जापानी मनुष्य के पीने योग्य योग्य भी है। जून 2015 में शोधकर्ताओं ने मिथेन होने का भी पुष्टी की। इन तथ्यों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि मंगल पर जीवन है। परंतु जीवन का पता न चलना इस बात के संकेत दे रहे हैं या तो उपग्रह/रोवर वहां पहुंचे नहीं या फिर एजेंसी कुछ बताना नहीं चाह रही।  अपॉर्चुनिटी रोवर ने मंगल पर उपस्थित चट्टानों में हीमेटाइट नामक खनिज का पता लगाया जो वहां पर पानी की उपस्थिति का संकेत है। नासा के द्वारा भेजे गए रोवर क्यूरियोसिटी के द्वारा भी लाल ग्रह के चट्टानों से एकत्र किए गए नमूने के विश्लेषण में वैज्ञानिकों ने कई चीजें पाई। मैंने भी कुछ अध्ययन किया जिसमें पाया कि मंगल पर सल्फर, नाइट्रोजन ,हाइड्रोजन ,ऑक्सीजन ,फास्फोरस और कार्बन हैं। ये  सारे तत्व हमारे जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक हैं। मैंने वैज्ञानिकों के द्वारा मंगल ग्रह के नमूनों में पाए गए तत्वों का भी अध्ययन किया।( जो वैज्ञानिकों ने मुझे बताया) उनमें मैने रासायनिक तत्वों की जो श्रंखला पायी वह वास्तव में प्रभावशाली है। इसमें सल्फर, सल्फेट , सल्फाइट आदि के संकेत मिले हैं। जो सूक्ष्म जीवों की ऊर्जा के श्रोत माने जाते हैं। कैल्शियम सल्फेट की उत्पत्ति से यह पता चलता है कि वहां की मिट्टी हल्की छारीय है। इस बात से मैं भी काफी हैरान हूं कि ऑक्सीजन युक्त, कम आक्सीजन युक्त, और ऑक्सीजन विहीन रसायनों का मिश्रण वैज्ञानिकों को मिला वह पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए जरूरी उर्जा उपलब्ध कराते हैं। नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने जनवरी 2015 में लाल ग्रह पर जैविक अणुओं का भी पता लगाया। यह मंगल पर उपस्थित पानी में भी रासायनिक प्रतिक्रिया का परिणाम भी हो सकते हैं। यह मंगल पर जीवन के प्रतीक हैं ।

काफी समय पहले नासा की एक महिला कर्मचारी ने बताया कि जब वह नासा की किसी लैण्डर  की निगरानी कर रही थी तो उसने पाया कि कुछ लोग मंगल की सतह पर दौड़ रहे हैं। यह देखने वाली वह अकेली नहीं बल्कि पूरे स्टाफ ने उसको देखा था। नासा ने इस बात को झूठ बताया। कई बार ऐसे व्यक्ति मंगल पर मिले पर हमें यह बताया गया कि यह सारे एलियन मंगल पर रिसर्च करने के लिए आए हैं। यदि ये रिसर्च करने आए मैं तो इनकी लैब कहां है?, इनके अंतरिक्ष यान कहां हैं?

मैं आप से यह पूछना चाहुंगा  कि आप में से किसी ने भी उनके लैब या यान की तस्वीर देखी है। जो मंगल के पास उड़ते हुए देखी गई है या कहीं पर खड़ी हुई हों। नहीं!

तो इन सबको एलियन या रिसर्चर का दर्जा कैसे दिया जा सकता है।

अभी हाल ही में नासा ने अपने नए आंकड़े प्रस्तुत किए। इन सबके हिसाब से मंगल ग्रह पर अभी भी बहता हुआ पानी उपलब्ध है। पानी की यह मौजूदगी बताती है कि मंगल पर अभी भी भौगोलिक रूप सक्रिय है।

जाहिर है कि अब हम सबकी आंखों में एक नया सपना साकार होने लगा है कि आखिर मंगल पर जीवन की मौजूदगी का दावा अंतरिक्ष एजेंसियां कब करेंगी?

अंतरिक्ष एजेंसियों ने ऐसा भी कई बार बताया कि मंगल पर सर्दी में मौसम साफ बसंत में और गर्मी में धूल भरा रहता है इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मंगल पर एटामिक ऑक्सीजन भी है । इन सारे आंकड़ों से तथा खुद के किए गए अध्ययन में मैंने पाया कि हमारे पड़ोसी ग्रह मंगल पर बहुत बड़ा हिस्सा  पृथ्वीवासियों के रहने के लिए अनुकूल है तथा जिस प्रकार से पृथ्वी पर जीवन है ठीक इसी तरह  से मंगल पर जीवन है।

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            -Scientist Pankaj

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